बजट बनने से लेकर संसद में पेश होने तक, जानिए पूरी प्रक्रिया

संसद का बजट सत्र जल्दी ही शुरु होगा। फरवरी 2017 में केंद्र सरकार अपना आम बजट पेश करेगी। वहीं यह बजट कैसे बनता है, क्या-क्या तैयारी की जाती है, या इसे बनाने की प्रक्रिया क्या होती है ? यह सब जानना काफी इंट्रस्टिंग है। तो आइए जानते है केंद्र सरकार के आम बजट तैयार करने की प्रक्रिया के बारे में।

ऐसे तैयार होता है आम बजट- वैसे तो बजट फरवरी महीने में पेश किया जाता है लेकिन इसकी तैयारी सितंबर महीने से ही शुरु हो जाती है। सबसे पहले एक सर्कुलर सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त निकायों को भेजा जाता है। दरअसल इस सर्कुलर के जरिए सभी मंत्रालयों और विभागों के खर्च, विशेष परियोजनाएं और फंड्स की जरूरत का ब्यौरा मांगा जाता है। बजट का स्ट्रक्चर तैयार करने में यह सभी जानकारी बहुत जरूरी होती है।

बैठकें
बजट बनाने में जिस मामले पर सबसे ज्यादा चर्चा होती है उनमें से एक टैक्स भी है। वित्त मंत्रालय के अधिकारी नवंबर में रायसीना हिल्स पर नॉर्थ ब्लॉक में उद्योग संघों, वाणित्य मंडलों, किसान समूहों और ट्रेड यूनियनों के साथ कई बैठकें कर परामर्श करते हैं। इसी दौरान सभी मिलकर टैक्स छूट पर बहस करते हैं जिससे बजट बनाने का काम आसान हो सकें।

इसके अलावा बजट पर वित्त मंत्रालय की नियमित बैठकों में वित्त सचिव, राजस्व सचिव, संयुक्त सचिव (बजट) समेत वित्त विभाग के तमाम महत्वपूर्ण सचिवों और सभी केन्द्रीय सीमा एवं उत्पाद शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष भी शामिल होते हैं। बैठकें पूरी होने के बाद वित्त मंत्री को बजट पर मिलने वाले योजनाओं और खर्चों के सुझाव व्यय विभाग (एक्सपेंडिचर) को भेजे जाते हैं। वहीं टैक्स संबंधित सुझाव टैक्स रिसर्च यूनिट (टीआरयू) को भेजे जाते हैं।

प्रिंटिंग की प्रक्रिया
वित्त मंत्री का संसद में दिए जाने वाला बजट भाषण एक सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, ऐसे में इसकी सुरक्षा की कड़ी निगरानी की जाती है। संसद में बजट की घोषणा होने के दो दिन पहले आधीरात में दस्तावेज की प्रिंटर्स का काम शुरु होता है। शुरुआत में बजट पेपर्स राष्ट्रपति भवन पर ही प्रिंट किए जाते थे, लेकिन 1950 में बजट लीक हो गया था। इस घटना के बाद से ही प्रिंटिंग वेन्यू मिंटो रोड पर एक प्रेस में स्थानांतरित किया गया।

संसद में बजट
बजट फरवरी के आखिरी कार्य दिवस के पर केंद्र सरकार द्वारा पेश किया जाता है। बजट पेश करने से पहले केंद्र सरकार को राष्ट्रपति की अनुमति लेनी होती है। इसके बाद संसद के दोनों सदनों में बजट रखने से पहले इसे यूनियन कैबिनेट के सामने रखा जाता है। आखिर में वित्त मंत्री लोकसभा में सुबह 11 बजे बजट पेश करते हैं।

बजट के हिस्से
आम बजट दो में हिस्सों में बंटा होता है। पहले हिस्से में सामान्य आर्थिक सर्वे और नीतियों का ब्यौरा होता है और दूसरे हिस्से में आने वाले साल के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष करों के प्रस्ताव रखे जाते हैं।

बजट पर बहस- संसद में आम बजट पेश होने के बाद उसपर सभी सांसद बसह करते हैं। आमतौर पर लोकसभा में बहस 2 से 4 दिनों के लिए जारी रहती है। बजट प्रपोजलों पर संसद में दोनों, सामान्य और विस्तृत बहस की जाती है। वहीं प्रक्रिया राष्‍ट्रपति की मंजूरी पर पूरी होती है। साथ ही सभी संबंधित स्थायी समितियां संसद से अनुदान की मांग पेश करती हैं।

सदन में बहस के अंतिम दिन स्पीकर की ओर से सभी बकाया अनुदान मांगों को वोट के लिए रखा जाता है। लोकसभा में बहस के बाद विनियोग विधेयक पर वोटिंग के साथ वित्त और धन विधेयक पर वोटिंग होती है। संसद की मंजूरी के बाद विधेयक को 75 दिन के भीतर मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति के विधेयक को मंजूरी के साथ ही बजट प्रक्रिया पूरी हो जाती है।

जनसत्ता से 

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