जब भी दो प्रेमियों की बात होती है, जिनका प्रेम अमिट, अलौकिक और आत्मिक हो, तो सबसे पहले नाम आता है — राधा-कृष्ण का। यह केवल प्रेम कथा नहीं, बल्कि भक्ति और समर्पण की चरम सीमा है। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं, और राधा जी को माता लक्ष्मी का अवतार माना गया है। इन दोनों का प्रेम सांसारिक मोह-माया से परे, आत्मा से आत्मा का मिलन है — ऐसा जो बिना किसी औपचारिक बंधन के भी संपूर्ण और शाश्वत बना रहा।
राधा और कृष्ण का प्रेम ऐसा नहीं था जिसमें मिलन ही सब कुछ हो। बल्कि उनका विरह ही उनका सौंदर्य बन गया। राधा का समर्पण इतना गहरा था कि उन्होंने कृष्ण को केवल अपना प्रेमी नहीं, बल्कि अपना आराध्य बना लिया। और कृष्ण ने भी राधा को अपने हृदय के उस कोने में स्थान दिया, जो किसी अन्य के लिए नहीं था। यह प्रेम श्रृंगार नहीं, साधना था। यह भक्ति का ऐसा रूप था जिसमें प्रेम और ईश्वर एक ही हो गए।
राधा-कृष्ण की प्रेमगाथा आज भी वृंदावन की गलियों में, बांसुरी की धुनों में और भक्तों के दिलों में जीवंत है। यह वह प्रेम है जिसे शब्दों में बांधना मुश्किल है, लेकिन भावनाओं में जीना आसान है। उन्हीं पावन भावनाओं को शब्दों में पिरोकर, हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं — श्री राधा-कृष्ण की प्रेम भक्ति से भरी सुंदर शायरी।
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राधा की भक्ति में डूबी मेरी रूह है,
कृष्ण के नाम से महकता ये सुकून है।
प्रेम हो तो राधा जैसा निश्छल पावन,
कृष्ण हो तो हर जीवन में हो सावन।
मुरली की मधुर धुन में राधा का नाम है,
कृष्ण के अधरों पर उसका ही प्रणाम है।
हर युग में अमर है ये सच्चा प्यार,
जहाँ राधा वहाँ श्रीकृष्ण का संसार।
कृष्ण की बाँसुरी जब भी गूंजे कानों में,
राधा की छवि उतर आए अरमानों में।
प्रेम की परिभाषा बनी वो जोड़ी प्यारी,
जिनकी कथा सुनाते हैं वृंदावन के वारी।
वृंदावन की गलियों में बसती है छाया,
राधा-कृष्ण के प्रेम की अनुपम माया।
जहाँ हर कण-कण गाता है उनकी लीला,
भक्ति में डूबे वहाँ हर दिल का नसीला।
तेरी राधा का प्रेम है सबसे न्यारा,
जिसमें तू खुद ही बन गया पुजारा।
श्याम तेरे रूप में बसी है ये दुनिया,
और राधा तेरी आत्मा की परछाई बना।
ना राधा ने कभी कृष्ण को पाया,
फिर भी हर युग ने उसे राधा ही बताया।
प्रेम वो नहीं जो पास रहकर जिया जाए,
प्रेम वो है जो बिना छुए भी निभाया जाए।
जब राधा ने आँखे मूँदी, कृष्ण दिखाई दिए,
हर पल की तन्हाई में वो ही समाई दिए।
भक्ति और प्रेम का मिलन है इनका रिश्ता,
जो समझ ले इसे, वो पा ले परम सच्चा।
श्याम के रंग में रंगी है राधा रानी,
प्रेम की मूरत, भक्तों की कल्याणी।
हर श्वास में बसते हैं कान्हा के गीत,
जिसे राधा ने गाया, वही सबसे मीत।
तेरी बंसी की धुन जब गूंजे कानों में,
राधा नाचे प्रेम के पावन थानों में।
ये कोई साधारण प्रेम कथा नहीं,
यह ब्रह्म और आत्मा की अमिट कहानी है।
राधा के नाम से शुरू हो हर वाणी,
कृष्ण के ध्यान में हो जीवन की कहानी।
दोनों का संग है अद्भुत और प्यारा,
भक्ति में डूबा हर मन हो हमारा।
राधा की मुस्कान में कृष्ण का बसेरा,
प्रेम के इस बंधन से कोई ना है बेरा।
हर भक्त की आँखों का सपना हो तू,
राधा के दिल का अपना हो तू।
कृष्ण जब रास रचाते हैं बंसी लेकर,
राधा नाचे भाव से झूम कर।
वो लीला है जो काल को भी रोके,
हर मन के द्वार पर कृष्णा दस्तक दे के।
प्रेम ना था वो, भक्ति की परिभाषा थी,
राधा-कृष्ण की अद्भुत भाषा थी।
ना मिलन, ना विरह, बस आत्मा का संयोग,
जिसे समझ सके वही है सबसे योग्य।
श्याम की हर बात में बसी राधा की याद,
और राधा की हर साँस में कृष्ण का साथ।
इनकी कथा सुनो तो मन को शांति मिले,
प्रेम ऐसा हो तो जन्मों की प्यास भी छले।
राधा की चुप्पी में कृष्ण की आवाज़ है,
प्रेम की इस लीला में सबकुछ राज़ है।
हर भटकते मन को ये बताती कहानी,
कि सच्चा प्रेम खुदा से भी है पुरानी।
कृष्ण की बंसी जब रातों में बजे,
राधा की आँखों में सपने सजें।
एक दूजे में लीन हैं दोनों सदा,
प्रेम का वो रंग जो कभी ना मरा।
तू राधा बने तो तेरा कृष्ण भी आएगा,
भक्ति की राह पे वो तुझसे जुड़ जाएगा।
बस मन को कर शुद्ध और प्रेम से भर,
कृष्ण तेरे हर क्षण को संवर देगा फिर।
ना मंदिरों की घंटियाँ, ना शंख की आवाज़,
बस राधा-कृष्ण का नाम है सबसे खास।
जो समझे इस नाम का रहस्य प्यारा,
उसे मिल जाए जीवन का सच्चा सहारा।
राधा ने जिस तरह प्रेम निभाया,
हर पीड़ा को हँसकर अपनाया।
ऐसा समर्पण कहीं ना मिलेगा,
जहाँ प्रेम स्वयं ईश्वर बनके खिला।
राधा के बिना अधूरा है कृष्ण का नाम,
जैसे दीप बिना बाती, ना होता कोई काम।
उनके प्रेम की लहरें अब भी बहती हैं,
वृंदावन की बयारों में वो साँसे कहती हैं।
रंग बदलती दूनियाँ देखी देखा जग व्यवहार,
दिल टूटा तब मन को भाया ठाकुर तेरा दरबार राधे राधे
राधा मुरली-तान सुनावें
छीनि लियो मुरली कान्हा से
कान्हा मंद-मंद मुस्कावें
राधा ने धुन,प्रेम की छेड़ी
कृष्ण को तान पे,नाच नचावें
****जय श्री राधे कृष्णा****
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आएंगे,
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे.
राधा की कृपा, कृष्णा की कृपा,
जय पे हो जाए,
भगवान को पाए,
मौज उड़ाए…. सब सुख पाए….!!
जय श्री राधे**
हे मन, तू अब कोई तप कर ले,
एक पल में सौ-सौ बार कृष्ण नाम का जप कर ले.
जय श्री राधे-कृष्णा…!!
किसी के पास ego है किसी के पास attitude है
मेरे पास तो मेरा साँवरा है वो भी बड़ा cute हैं
**Shri Krishna**
**Shri Krishna **
सुनो कन्या जहाँ से तेरा मन करे
मेरी ज़िन्दगी को पड़ लो पन्ना चाहे
कोईं भी खोलो हर पन्ने पर
तेरा नाम होगा मेरे कान्हा
पीर लिखो तो मीरा जैसी,
मिलन लिखो कुछ राधा सा,
दोनों ही है कुछ पूरे से,
दोनों में ही वो कुछ आधा सा.
जय श्री कृष्णा
राधा-राधा जपने से हो जाएगा तेरा उद्धार,
क्योंकि यही वही वो नाम है जिससे कृष्ण को प्यार.
एक तरफ साँवले कृष्ण, दूसरी तरफ राधिका गोरी
जैसे एक-दूसरे से मिल गए हों चाँद-चकोरी.
कर भरोसा राधे नाम का
धोखा कभी न खायेगा….
हर मौके पर कृष्ण
तेरे घर सबसे पहले आयेगा
जय श्री राधेकृष्ण…!!
माना कि मुझमे मीरा सी..कोई कशिश नही,
गोपी के जैसे रो सकू..वो जज्बात नही,
एकबार मेरे साँवरे इस..दिल की भी सुनो,
मेरे राधा कृष्णा मुरारी.
हर पल, हर दिन कहता है कान्हा का मन
तू कर ले पल-पल राधा का सुमिरन.
प्रभु खोजने से नहीं मिलते…
उसमें “खो – जाने” से मिलते है…!
राधेकृष्णा जय श्री कृष्णा
राधा कृष्ण का मिलन तो बस एक
बहाना था…
दुनिया को प्यार का सही मतलब
जो समझाना था….
तुम्हारी “चाहत” की,
“हद” हो सकती है मगर,
“दिल” की बात बताता हूॅ,
मै “बेहद” तुम्हे चाहता हूॅ.
राधे कृष्णा हरे कृष्णा….
नन्दलाल की मोहनी सूरत दिल में बसा रखे हैं,
अपने जीवन को उन्ही की भक्ति लगा रखे हैं,
एक बार बाँसुरी की मधुर तान सुनादे कान्हा,
एक छोटी से आस लगा रखे हैं.
बड़ा मीठा नशा है कृष्ण की याद का..
वक्त गुजरात गया और हम आदि होते गए.
जय राधे कृष्णा….!!
अभी तो बस इश्क़ हुआ है
कान्हा से
मंजिल तो वृंदावन में ही मिलेगी…!!
राधे राधे..
कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दिवानी,
जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी.
“राधा” के सच्चे प्रेम का यह ईनाम हैं,
कान्हा से पहले लोग लेते “राधा” का नाम हैं.
जानते हो कृष्ण,
क्युं तुम पर हमें गुरुर हैं?
क्युंकि तुम्हारे होने से हमारी ज़िन्दगी मे नूर है.
जिया श्री राधे कृष्ण…!!
जिस पर राधा को मान हैं,
जिस पर राधा को गुमान हैं,
यह वही कृष्ण हैं जो राधा
के दिल हर जगह विराजमान हैं.
मेरे कर्म ही मेरी पहचान बनें तो बेहतर है,
चेहरे का क्या है यह तो मेरे साथ ही चला जाएगा…।
जय राधे कृष्णा…
कोई प्यार करे तो राधा-कृष्ण की तरह करे
जो एक बार मिले, तो फिर कभी बिछड़े हीं नहीं.
मेरे राधा कृष्णा….!!!
कर्तव्य पथ पर जाते-जाते केशव गये थे रूक,
देख दशा राधा रानी, ब्रम्हा भी गये थे झुक.
मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है,
करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है.
जय श्री कृष्णा राधे राधे…
जो जो है माखन चोर, जो है मुरली वाला,
वही है हम सबके दुःख दूर करने वाला.
राधा की हृदय में श्री कृष्ण,
राधा की साँसों में श्री कृष्ण,
राधा में ही हैं श्री कृष्ण,
इसीलिए दुनिया कहती हैं
राधे-कृष्ण राधे-कृष्ण
प्रेम की भाषा बड़ी आसान होती हैं.
राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी ये पैगाम देती हैं.
यदि प्रेम का मतलब सिर्फ पा लेना होता,
तो हर हृदय में राधा-कृष्ण का नाम नही होता.
पता नहीं कैसे परखता है,
मेरा कृष्ण मुझे,
इम्तिहां भी मुश्किल ही लेता है,
और फेल भी होने नहीं देता.
प्यार दो आत्माओं का मिलन होता है
ठीक वैसे हीं जैसे……….
प्यार में कृष्ण का नाम राधा और राधा का नाम कृष्ण होता है.
किसी की सूरत बदल गई किसी की नियत बदल गई…..!!
जब से तूने पकड़ा मेरा हाथ ,
“राधे” मेरी तो किस्मत ही बदल गई …..!!
मटकी तोड़े, माखन खाए फिर भी सबके मन को भाये,
राधा के वो प्यारे मोहन,महिमा उनकी दुनिया गाये…!!
प्रेम के दो मीठे बोल बोलकर खरीद लो हमें,
कीमत से सोचोगे तो पूरी दुनिया बेचनी पडेगी.
सुध-बुध खो रही राधा रानी,
इंतजार अब सहा न जाएँ,
कोई कह दो सावरे से,
वो जल्दी राधा के पास आएँ.
राधा के दिल की चाहत है कृष्णा,
राधा की विरासत है कृष्णा,
कितने भी रास रचा ले कृष्णा,
फिर भी दुनिया कहेगी – राधे_कृष्णा
मधुवन में भले ही कान्हा किसी गोपी से मिले,
मन में तो राधा के ही प्रेम के है फूल खिले.
राधा के बिना श्याम अधूरे हैं, जैसे बंसी बिना सुर अधूरे हैं।
कृष्ण के प्रेम में जो बह गया, वो इस संसार से अलग हो गया।
राधा रानी का नाम लेते ही, मन पावन हो जाता है।
प्रेम वो नहीं जो दिखाया जाए, प्रेम वो है जो राधा-कृष्ण निभाएं।
बृज की गलियों में रास रचाया, राधा के संग श्याम मुस्काया।
राधा ने कृष्ण को मन से चाहा, यही तो सच्चा प्रेम है सारा।
कृष्ण की बंसी जब बजती है, राधा की रूह तक हँसती है।
जहाँ-जहाँ राधा पाँव रखे, वहाँ-वहाँ श्याम खुद चलें।
प्रेम की परिभाषा है राधा-कृष्ण, भक्ति की भाषा है राधा-कृष्ण।
राधा के प्रेम में भीग जाओ, श्याम की मुरली बन जाओ।