Skip to content

क्यों हनुमान जी ने अपने पुत्र मकरध्वज को पूंछ से बांधकर श्री राम के सामने पेश किया

    हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज के जन्म की कथा के बारे में हम आपको पहले बता चुके हैं। परन्तु क्या आप इस प्रसंग के बारे में जानते हैं जब हनुमान जी ने अपने बेटे को पूंछ से बांध कर श्री राम के सामने प्रस्तुत किया?

    मकरध्वज को अहिरावण द्वारा पाताल पुरी का रक्षक बनाया गया था। अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण जी को देवी के समक्ष बलि चढ़ाने के लिए अपनी माया के बल पर पाताल ले आया था। जब हनुमान जी को यह बात पता चली, वह भी पातल पूरी पहुँच गए। वहां पहुँच कर हनुमान जी मकरध्वज से मिले।

    मकरध्वज ने उन्हें प्रणाम किया और अपना परिचय दिया। परिचय के बाद हनुमान जी ने अपने पातल पुरी में आने के उद्देश्य के बारे में मकरध्वज को बताया और कहा कि वह श्री राम तथा लक्ष्मण जी को मुक्त कराने आये हैं।

    यह बात सुनकर मकरध्वज ने हनुमान जी का विरोध किया। उसने हनुमान जी को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश की। हनुमान जी के बहुत समझने पर भी मकरध्वज ने उनकी एक न सुनी। इसके बाद पिता और पुत्र में युद्ध आरम्भ हो गया। काफी देर युद्ध चलने के बाद मकरध्वज पराजित हुआ और हनुमान जी उसे अपनी पूंछ से बांधकर पाताल में सीधे देवी मंदिर में पहुंचे।

    उधर अहिरावण ने जैसे ही श्री राम और लक्ष्मण जी को बलि देने के लिए तलवार उठाई, वैसे ही हनुमान जी प्रकट हो गए और उन्होंने अहिरावण का वध कर दिया। अहिरावण के वध के बाद  हनुमान जी ने श्री राम और लक्ष्मण जी को मुक्त करवाया। मुक्त होने के बाद श्री राम ने देखा कि हनुमान जी की पूंछ में कोई बंधा हुआ है।

    श्रीराम ने हनुमान जी से पूछा तुम्हारी पूंछ में यह कौन बंधा है? बिल्कुल तुम्हारे समान ही लग रहा है। इसे खोल दो। हनुमान जी ने मकरध्वज का परिचय देकर उसे बंधन मुक्त कर दिया। तब श्रीराम ने मकरध्वज का राज्याभिषेक कर उसे पाताल का राजा घोषित किया और कहा कि भविष्य में वह अपने पिता के समान दूसरों की सेवा करे।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *