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कौरवों के पैदा होने की कहानी

    महाभारत का युद्ध पांडवो तथा कौरवों के मध्य हुआ था| पांडव पाण्डु के पुत्र थे और पांडव पांच भाई थे| पांडवो के जन्म की कथा से तो हम सब अवगत हैं| परन्तु बहुत कम लोग ऐसे हैं जिन्हे कौरवों के पैदा होने की कहानी के बारे में पता है| ज्यादातर लोग जानते हैं कि कौरव 100 भाई थे| परन्तु यह सत्य नहीं हैं| कौरव 101 भाई तथा एक बहन थे| आइए जानते हैं कि कौरवों का जन्म कैसे हुआ|

    धृतराष्ट्र का विवाह गांधारी के साथ हुआ था| विवाह के पश्चात् जब गांधारी हस्तिनापुर आयी तब उन्हें धृतराष्ट्र के अंधा होने का पता चला| यह बात जानकर गांधारी ने भी पूर्ण जीवन आँखों पर पट्टी बांध कर रखने का प्रण ले लिया| इसी दौरान ऋषि व्यास उनसे मिलने हस्तिनापुर पहुंचे| गांधारी ने इस अवस्था में भी उनकी बहुत अच्छे से सेवा की|

    गांधारी के पतिव्रता संकल्प को देखकर ऋषि व्यास बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने गांधारी को 100 पुत्रों का आशीर्वाद दिया| इस आशीर्वाद से गांधारी लगभग दो साल तक गर्भवती रही| प्रसव के दौरान गांधारी ने एक मृत मांस के लोथड़े को पैदा किया| ऋषि व्यास ने आदेश दिया कि उस मांस के लोथड़े को 100 टुकड़ो में काट दिया जाए| परन्तु गांधारी ने उन्हें कहा कि उन्हें एक पुत्री की भी इच्छा है| तब ऋषि व्यास ने लोथड़े को स्वयं 101 टुकड़ों में काटकर अलग – अलग घड़ों में बंद किया| एक साल बाद उन घड़ों में से गांधारी के 100 पुत्रों और एक पुत्री दुःशला का जन्म हुआ|

    धृतराष्ट्र के किसी दासी के साथ संबंध थे| जब कौरवों का जन्म हुआ उसी समय उस दासी ने भी धृतराष्ट्र के एक बेटे को जन्म दिया| जिसका नाम युयुत्सु था| इस तरह कौरव 102 थे|

    कौरवों के नाम

    1. दुर्योधन
    2. दुःशासन
    3. दुःसह
    4. दुःशल
    5. जलसंघ
    6. सम
    7. सह
    8. विंद
    9. अनुविंद
    10. दुर्धर्ष
    11. सुबाहु
    12. दुषप्रधर्षण
    13. दुर्मर्षण
    14. दुर्मुख
    15. दुष्कर्ण
    16. विकर्ण
    17. शल
    18. सत्वान
    19. सुलोचन
    20. चित्र
    21. उपचित्र
    22. चित्राक्ष
    23. चारुचित्र
    24. शरासन
    25. दुर्मद
    26. दुर्विगाह
    27. विवित्सु
    28. विकटानन्द
    29. ऊर्णनाभ
    30. सुनाभ
    31. नन्द
    32. उपनन्द
    33. चित्रबाण
    34. चित्रवर्मा
    35. सुवर्मा
    36. दुर्विमोचन
    37. अयोबाहु
    38. महाबाहु
    39. चित्रांग
    40. चित्रकुण्डल
    41. भीमवेग
    42. भीमबल
    43. बालाकि
    44. बलवर्धन
    45. उग्रायुध
    46. सुषेण
    47. कुण्डधर
    48. महोदर
    49. चित्रायुध
    50. निषंगी
    51. पाशी
    52. वृन्दारक
    53. दृढ़वर्मा
    54. दृढ़क्षत्र
    55. सोमकीर्ति
    56. अनूदर
    57. दढ़संघ
    58. जरासंघ
    59. सत्यसंघ
    60. सद्सुवाक
    61. उग्रश्रवा
    62. उग्रसेन
    63. सेनानी
    64. दुष्पराजय
    65. अपराजित
    66. कुण्डशायी
    67. विशालाक्ष
    68. दुराधर
    69. दृढ़हस्त
    70. सुहस्त
    71. वातवेग
    72. सुवर्च
    73. आदित्यकेतु
    74. बह्वाशी
    75. नागदत्त
    76. उग्रशायी
    77. कवचि
    78. क्रथन
    79. कुण्डी
    80. भीमविक्र
    81. धनुर्धर
    82. वीरबाहु
    83. अलोलुप
    84. अभय
    85. दृढ़कर्मा
    86. दृढ़रथाश्रय
    87. अनाधृष्य
    88. कुण्डभेदी
    89. विरवि
    90. चित्रकुण्डल
    91. प्रधम
    92. अमाप्रमाथि
    93. दीर्घरोमा
    94. सुवीर्यवान
    95. दीर्घबाहु
    96. सुजात
    97. कनकध्वज
    98. कुण्डाशी
    99. विरज
    100. युयुत्सु
    101. दुहुसलाई
    102. दुःशला(पुत्री)

    अलग-अलग ग्रंथों में कौरवों के कुछ नामों में परिवर्तन भी मिलते हैं।

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