Skip to content

गरूडपुराण के अनुसार किन लोगों के घर भोजन करना वर्जित है

    हमारे रोजमर्रा का भोजन हमारे जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है गरुडपुराण में भी वर्णित है की किसके घर में भोजन करना चाहिए और किसके घर में नहीं| अगली बार जब भी आप कहीं भोजन करने जाएँ तो जांच परख ले की वहां भोजन करना उचित है या नहीं| किसी भी मनुष्य के घर का अन्न उसके स्वभाव के अनुरूप ही ढल जाता है और उसे खाने वाले के स्वभाव पर भी प्रभाव पड़ता है| कभी भी निम्नलिखित लोगों के घर भोजन नहीं करना चाहिए:

    चोर या अपराधी

    गरुडपुराण के अनुसार चोरी या अपराध करना पाप माना गया है अगर हम किसी चोर या अपराधी के घर में भोजन करते हैं तो हम भी उसके पाप में बराबर के हिस्सेदार बन जाते हैं इसीलिए कभी भी इनके घर भोजन नहीं करना चाहिए|

    सूदखोर

    सूदखोर व्यक्ति के घर का अन्न ग्रहण करना भी वर्जित है क्योंकि सूदखोर व्यक्ति जो ब्याज पर लोगों को पैसा देता है उसे उनकी तकलीफों से कोई सरोकार नहीं होता| गरुडपुराण के अनुसार किसी को तकलीफ देकर पैसा कमाना भी पाप की श्रेणी में आता है| और पापी के घर का अन्न भी दोषयुक्त हो जाता है|

    चरित्रहीन स्त्री

    चरित्रहीन स्त्री के घर भी कभी भोजन नहीं करना चाहिए जिस स्त्री का चरित्र ही ठीक नहीं है उसकी आमदनी को भी पाप द्वारा अर्जित धन माना गया है| और पाप धन से ख़रीदा हुआ अन्न आपको पाप का भागी बनाता है|

    रोगी व्यक्ति

    जो व्यक्ति स्वयं रोग से पीड़ित है ख़ास कर छूत के रोग से उसके घर भोजन करने से आप बीमार हो सकते है साथ ही लम्बी बिमारी की वजह से घर के वातावरण में कीटाणुओं का वास हो जाता है|

    क्रोधी व्यक्ति

    गरुडपुराण के अनुसार अत्यधिक क्रोध को भी पाप की श्रेणी में ही रखा गया है क्योंकि मनुष्य क्रोध में आने पर अच्छे बुरे में फर्क नहीं कर पाता­ और अगर हम उनके घर भोजन करेंगे तो उनके क्रोध के अवगुण हमारे अन्दर प्रवेश कर जाते हैं|

    नपुंसक या किन्नर­­­­­

    किन्नर को शास्त्रों में विशेष दर्जा दिया गया है इन्हें दान देने पर उच्च फल की प्राप्ति होती है| किन्नर के घर भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि उनकी आमदनी लोगों के द्वारा दान से ही होती है उन्हें दान देने वालों में अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग होते हैं| उनके धन के साथ उनका स्वभाव भी उन पैसों से ख़रीदे हुए अन्न में आ जाता है|

    निर्दयी शाशक

    एक शासक का धर्म होता है की वह अपनी प्रजा का ध्यान रखे और उनके दुखों का निवारण करे अगर कोई शासक अपनी प्रजा पर निर्दयता से शासन करता है उसके यहाँ कभी भोजन नहीं करना चाहिए|

    निर्दयी व्यक्ति

    यदि कोई व्यक्ति निर्दयी है और उसके ह्रदय में दया भावना का अभाव है तो उस मनुष्य के घर कभी भोजन ना करें क्योंकि उसकी निर्दयता का स्वभाव आपके अन्दर भीं अन्न द्वारा प्रवेश कर जाती है|

    चुगलखोर व्यक्ति

    चुगली करने वाला व्यक्ति गरुडपुराण के अनुसार पापियों की श्रेणी में ही गिना जाता है| चुगली करना वैसे भी बुरी बात है इससे कभी भी किसी का भला नहीं होता| अगर हम चुगलखोर व्यक्ति के घर भोजन करते हैं तो दूसरों की चुगली सुननी पड़ती है| और इसी वजह से हम भी उस पाप के बराबर के भागिदार बन जाते हैं|

    नशीली चीजें बेचने वाले

    नशीली चीज़ों को बेचने को गरुडपुराण में जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है| अतः नशीली चीज़े बेच कर कमाए गए पैसो से ख़रीदा हुआ अन्न हमें भी उनके पाप में बराबर का भागिदार बनाता है|

     

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *