Skip to content

महामृत्युंजय मंत्र

    महामृत्युंजय मंत्र को एक प्राण रक्षक और महामोक्ष मंत्र माना जाता है। कहा जाता है कि यह भगवान शिव का सबसे बड़ा मन्त्र है। जो व्यक्ति इस मंत्र को जपता है उस से मृत्यु को भी भय लगता है तथा वह व्यक्ति निश्चित ही मोक्ष को प्राप्त करता है। यह मंत्र ऋषि मार्कंडेय द्वारा सबसे पहले पाया गया था।

    इस मंत्र के जप से मृत्यु का भय समाप्त होने के साथ साथ अटल मृत्यु को भी टाला जा सकता है। इस मंत्र को लेकर मान्यता है कि यदि कोई इस मंत्र का इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करे तो उसके ऊपर किसी भी बीमारी तथा अनिष्टकारी ग्रहों के दुष्प्रभाव खत्म हो सकता है।

    यह मंत्र हमारी आत्मा को शुद्ध करता है तथा इससे हमें  आयु और यश की प्राप्ति होती है। साथ ही यह मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

    महामृत्युंजय मंत्र

    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

    महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ

    हम तीन नेत्र वाले भगवान शंकर की पूजा करते हैं जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं और मोक्ष प्राप्त कर लें।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *