सभी कष्टों के निवारण का अचूक उपाय – सुन्दरकाण्ड का पाठ

शाश्त्रों तथा वेद पुराणों के अनुसार हनुमान जी की मृत्यु नहीं हुयी थी और वो आज भी जिंदा हैं| शायद यही कारण है की लोग हनुमान जी को दुसरे देवताओं के मुकाबले ज्यादा पूजते हैं| बचपन से ही डर लगने पर हनुमान चालीसा ही याद आती है|

हनुमान जी के मन्त्र से सारे रोग, दुःख और भय दूर भाग जाते हैं परन्तु शायद ही आप जानते होंगे की सुन्दरकाण्ड का पाठ आपको सभी कष्टों से निवारण दिला सकता है साथ ही आपके बंद किस्मत के ताले भी खोल सकती है|

सुन्दरकाण्ड के पाठ से होने वाले फायदों के बारे में जान कर आप रोजाना इसका पाठ करना शुरू कर देंगे| इस पाठ का सबसे पहला फायदा यह है की इसे करने से हनुमान जी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं|

गोस्वामी श्री तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस में सात अध्याय हैं सुन्दरकाण्ड इनमें से पांचवा अध्याय है। ऐसे तो रामचरित मानस के सभी अध्यायों को भगवान की भक्ति के लिए लिखा गया है, परन्तु सुंदरकांड का महत्व सबसे अधिक बताया गया है।

माना जाता है की सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं। उसके आसपास कोई भी नकारात्मक शक्ति भटक नहीं सकती। यह भी मान्यता है कि जब किसी भक्त का आत्मविश्वास कम हो जाए या जीवन में कोई काम ना बन रहा हो, तो सुंदरकांड का पाठ करना शुरू करना चाहिए| सुन्दरकाण्ड के पाठ से सभी काम अपने आप ही बनने लगते हैं।

यहाँ तक की केवल शास्त्रीय मान्यताओं ने ही नहीं, विज्ञान ने भी सुंदरकांड के पाठ के महत्व को समझाया है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों की राय के अनुसार सुंदरकांड का पाठ भक्त में आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति को बढ़ाता है।

इस पाठ की एक-एक पंक्ति और उससे जुड़ा अर्थ, भक्त को जीवन में कभी ना हार मानने की सीख प्रदान करता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार किसी बड़ी परीक्षा में सफल होना हो तो परीक्षा से पहले सुंदरकांड का पाठ अवश्य करना चाहिए। यदि संभव हो तो विद्यार्थियों को सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। यह पाठ उनके भीतर आत्मविश्वास को जगाएगा और उन्हें सफलता के और करीब ले जाएगा।

आपको शायद मालूम ना हो, लेकिन यदि आप सुंदरकांड के पाठ की पंक्तियों के अर्थ जानेंगे तो आपको यह मालूम होगा कि इसमें जीवन की सफलता के सूत्र भी बताए गए हैं। यह सूत्र यदि व्यक्ति अपने जीवन पर अमल कर ले तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

इसलिए यह राय दी जाती है कि यदि रामचरित्मानस का पूर्ण पाठ कोई ना कर पाए, तो कम से कम सुंदरकांड का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए। यहां तक कि यह भी कहा जाता है कि जब घर पर रामायण पाठ रखा जाए तो उस पूर्ण पाठ में से सुंदरकांड का पाठ घर के किसी सदस्य को ही करना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक शक्तियों का प्रवाह होता है।

ज्योतिष के नजरिये से यदि देखा जाए तो यह पाठ घर के सभी सदस्यों के ऊपर मंडरा रहे अशुभ ग्रहों छुटकारा दिलाता है। यदि स्वयं यह पाठ ना कर सकें, तो कम से कम घर के सभी सदस्यों को यह पाठ सुनना जरूर चाहिए। अशुभ ग्रहों का दोष दूर करने में लाभकारी है सुंदरकांड का पाठ।

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