ऐसे दिखते हैं आज वह स्थान जहां श्री कृष्ण ने अपना जीवन व्यतीत किया

विष्णु जी के अवतार श्री कृष्ण ने धरती पर जन्म लेकर एक मनुष्य का जीवन व्यतीत किया और यहां अनेक लीलाएं भी की| धरती पर जन्म लेने का उद्देश्य पूर्ण होने के बाद श्री कृष्ण अपने लोक वापिस लौट गए| आइए देखते हैं वह स्थान आज कैसे दिखते हैं जहां पर श्री कृष्‍ण ने अपने खास पल ब‌िताए थे|

श्री कृष्ण जन्म स्थली 

यह है मथुरा स्थित वह स्थान जहां श्री कृष्ण का जन्म हुआ था| धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म कंस के कारागार में हुआ था| अब इस स्थान पर कारागार तो नहीं है| परन्तु यहां अंदर का नजारा ऐसा बनाया गया है कि देखने वाले को लगे कि श्री कृष्ण का जन्म यहीं हुआ था| यहां एक हॉल में ऊंचा चबूतरा बना हुआ है| कहते हैं यह चबूतरा उसी स्‍थान पर है जहां श्री कृष्‍ण ने धरती पर पहला कदम रखा था| श्रद्धालु इसी चबूतरे से स‌िर ट‌िकाकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं|

नंदराय मंदिर

यह स्थान नंद गाँव में स्थित है और नंदराय मंदिर के नाम से जाना जाता है| कंस के डर से वासुदेव जी ने श्री कृष्ण को नंद जी को सौंप दिया था| जिस स्थान को आज नंदराय मंदिर के नाम से जाना जाता है, वह नंदराय जी का निवास स्थान था| इसी स्थान पर श्री कृष्ण का बचपन गुजरा था| आज इस स्थान पर एक भव्य मंदिर है| मंदिर के पास ही पावन नाम से एक सरोवर है| कहते हैं कि इसी सरोवर में माता यशोदा श्री कृष्‍ण को स्नान करवाया करती थीं| पावन सरोवर के जल को बहुत पवित्र माना जाता है तथा आप इस जल से खुद को शुद्ध कर सकते हैं|

भद्रकाली मंद‌िर

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भद्रकाली के नाम से एक मंदिर स्थित है| यह मंदिर एक शक्तिपीठ मंदिर है| माना जाता है कि श्री कृष्ण तथा बलराम का मुंडन यहीं हुआ था| परन्तु एक अन्य मान्यता के अनुसार राजस्‍थान के आमेर में स्‍थ‌ित अम्ब‌िकेश्वर मंद‌िर को भी भगवान श्री कृष्‍ण की मुंडन स्‍थली के रूप में जाना जाता है| इस स्थान पर आज भी एक पद च‌िन्ह को श्री कृष्‍ण के चरण च‌िन्ह के रूप में पूजा जाता है और गाय के पांच खुरों के प्राकृत‌िक च‌िन्हों की भी पूजा होती है|

संदीपनी आश्रम

मध्यप्रदेश में उज्जैन के पास संदीपनी आश्रम स्थित है| संदीपनी आश्रम में ही श्री कृष्ण, बलराम तथा सुदामा ने गुरू संदीपनी से श‌िक्षा प्राप्त की थी तथा इसी स्थान पर श्री कृष्‍ण को परशुराम जी से सुदर्शन चक्र प्राप्त हुआ था| आज इस आश्रम के स्थान पर श्री कृष्‍ण का मंद‌िर है जहां श्री कृष्‍ण के साथ बलराम जी और संदीपनी जी भी मौजूद हैं|

द्वार‌िकाधीश मंद‌िर

द्वार‌िकाधीश मंद‌िर गुजरात में स्थित है| मथुरा छोड़कर श्री कृष्ण ने यहां आकर अपनी नगरी बसाई थी| यह मंदिर सागर तट पर स्थित है| माना जाता है कि यह मंदिर श्री कृष्ण का राजमहल था| आज यह स्‍थान व‌िष्‍णु भक्तों के ल‌िए मोक्ष का द्वार माना जाता है| आसमान को छूता मंद‌िर का ध्वज श्री कृष्‍ण की व‌िशालता को दर्शाता है|

ज्योत‌िसागर और गीता उपदेश स्‍थल

श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था| आज इस स्थान को ज्योत‌िसागर और गीता उपदेश स्‍थल के नाम से जाना जाता है| इस स्थान पर श्री कृष्ण ने पीपल के पेड़ के नीचे अर्जुन को अमर गीता का ज्ञान दिया था| यहां पर आज भी पीपल का वह पेड़ महाभारत के महायुद्ध की गवाही देता है|

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