दीन दुखियों की सेवा ही असली सेवा है

एक समय की बात है एक रियासत में एक राजमाता रहती थी। वह बहुत धार्मिक विचारों की स्त्री थी। एक दिन राजमाता ने सोचा कि क्यों न सोने का तुला…

माता पिता निस्वार्थ प्रेम और त्याग के बदले सिर्फ प्रेम की अपेक्षा रखते हैं

एक बच्चे को आम का पेड़ बहुत पसंद था। जब भी फुर्सत मिलती वो आम के पेड के पास पहुच जाता। पेड के उपर चढ़ता,आम खाता,खेलता और थक जाने पर…

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति की कथा

भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बाद नाम आता है नागेश्वर या फिर जागेश्वर ज्योतिर्लिंग का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारकापुरी से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी…

भगवद गीता (श्रद्धात्रयविभागयोग- सत्रहवाँ अध्याय : श्लोक 1 – 28)

अथ सप्तदशोऽध्यायः- श्रद्धात्रयविभागयोग (श्रद्धा का और शास्त्रविपरीत घोर तप करने वालों का विषय) अर्जुन उवाच ये शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धयान्विताः। तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वमाहो रजस्तमः॥ भावार्थ : अर्जुन बोले-…

धरती पर नदी के रूप में क्यूँ आना पड़ा देवी गोदावरी को

भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग धरती पर मौजूद है इन बारह ज्योतिर्लिंगों में तीसरे स्थान पर आता है महाराष्ट्र के नासिक जिले में गोदावरी नदी के तट पर स्थित श्री…

क्यों भगवान बांके बिहारी के सर से निकली खून की धारा

एक राजा ने भगवान कृष्ण का एक मंदिर बनवाया और पूजा के लिए एक पुजारी को लगा दिया| पुजारी बड़े भाव से बिहारी जी की सेवा करने लगे| भगवान की…

भगवद गीता (दैवासुरसम्पद्विभागयोग- सोलहवाँ अध्याय : श्लोक 1 – 24)

अथ षोडशोऽध्यायः- दैवासुरसम्पद्विभागयोग (फलसहित दैवी और आसुरी संपदा का कथन) श्रीभगवानुवाच अभयं सत्त्वसंशुद्धिर्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः। दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्‌॥ भावार्थ : श्री भगवान बोले- भय का सर्वथा अभाव, अन्तःकरण की पूर्ण…

इन चीजों को जेब में रखने से जेब कभी खाली नही होती

हम लोगों में से कई लोग ऐसे हैं जिनके हाथ में पैसा तो आता है। पर ज्यादा देर तक रुक नही पाता। समुद्र शास्त्र में इस परेशानी का उपाय बताया गया है।…

चिड़ियों से मैं बाज लडाऊं , गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ

श्री “गुरूग्रँथ” साहिब जी – ‘गुरुबाणी’ में परम पिता ‘परमात्मां’ के लिये प्रयोग किये गए 16 “नाम” ? हरी – 50 बार ? राम – 1758 बार ? प्रभू –…

भगवद गीता (पुरुषोत्तमयोग- पंद्रहवाँ अध्याय : श्लोक 1 – 20)

अथ पञ्चदशोऽध्यायः- पुरुषोत्तमयोग (संसार वृक्ष का कथन और भगवत्प्राप्ति का उपाय) श्रीभगवानुवाच ऊर्ध्वमूलमधः शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्‌ । छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित्‌ ॥ भावार्थ : श्री भगवान बोले- आदिपुरुष…

पूजा में इन चीजों के उपयोग से रूठ जाती हैं देवी लक्ष्मी

शास्त्रों में देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई गयी हैं। देवी लक्ष्मी की पूजा के समय इन बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। अगर पूजा के समय इन…

मंगलवार व्रत कथा – सर्वसुख, राजसम्मान तथा पुत्र-प्राप्ति के लिए

हनुमान जी तो सब के प्रिये हैं, और सब हनुमान जी को प्रिये हैं| जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान् हनुमान जी को याद करता है, प्रभु उस का…