शिव पार्वती का तीसरा पुत्र था एक दैत्य

अगर भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्रों की बात की जाये तो हमारे दिमाग में दो नाम ही आते हैं और वो नाम हैं- गणेश और कार्तिक। गणेश और कार्तिक के बारे में तो सब जानते हैं। पर भगवान शिव और देवी पार्वती का एक और पुत्र था जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। उनका तीसरा पुत्र जो कि देवता नहीं बल्कि एक दैत्य था। भगवान शिव और पार्वती के दैत्य पुत्र का नाम अंधक था तथा किसी कारणवश भगवान शिव को अपने पुत्र अंधक का वध करना पड़ा।

वामन पुराण के अनुसार भगवान शिव तथा पार्वती के दैत्य पुत्र अंधक के जन्म की कहानी कुछ इस प्रकार है-

इस कहानी के अनुसार एक बार भगवान शिव और देवी पार्वती घूमते हुए काशी पहुँच गए। वहां भगवान शिव अपना मुँह पूर्व दिशा की और करके बैठे थे। तभी पीछे से देवी पार्वती वहां आती हैं और अपने हाथों से भगवान शिव की आँखों को बंद कर देती हैं। उनके ऐसा करने से समस्त जगत में अन्धकार छा जाता है। जगत को बचाने के लिए भगवान शिव अपनी तीसरी आँख खोल देते हैं। उनकी तीसरी आँख खुलने पर जगत में फिर से रोशनी हो जाती है।

भगवान शिव की तीसरी आंख जगत को तो अंधकार से बचा लेती है परन्तु उस तीसरी आँख की रोशनी से जो ताप उत्पन्न हुआ उससे देवी पार्वती को पसीना आ गया। देवी पार्वती के पसीने की बूंदों से एक बालक का जन्म हुआ। उस बालक का मुख बहुत बड़ा और भयानक था।

उस बालक को देखकर देवी पार्वती ने भगवान  शिव से उसके उत्पन्न होने का कारण पूछा। भगवान शिव ने उसे अपना पुत्र बताया और देवी पार्वती की जिज्ञासा को शांत करते हुए कहा कि  इस बालक के उत्पन्न होने का कारण उनका पसीना है। अन्धकार में पैदा होने के कारण उस बालक का नाम अंधक रखा गया।

कुछ समय बाद हिरण्याक्ष नाम के असुर ने पुत्र पाने के लिए भगवान शिव की घोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे अपना पुत्र अंधक, वरदान के रूप में  प्रदान किया। अंधक असुरों के बीच में ही पला बढ़ा और आगे चल कर असुरों का राजा बन गया।

अंधक अपने असली माता पिता के बारे में भूल चुका था।अंधक बहुत बलवान था। अंधक ने और अधिक बलवान बनने के लिए ब्रहम्मा जी की तपस्या की तथा ब्रहम्मा जी से वरदान माँगा कि उसकी मृत्यु तब ही हो जब वो अपनी माता को बुरी नजर से देखे। अंधक खुद को अमर मान समाज कर बहुत खुश हुआ। अंधक को लगता था की उसकी कोई माँ नही है। सत्य से वो अज्ञात था।

वरदान की वजह से अंधक बहुत ताकतवर हो चुका था और तीनो लोको को जीत चुका था। त्रिलोक विजयी होने के बाद अब अंधक सबसे सुंदर कन्या से विवाह करना चाहता था। उसे पता चला कि देवी पार्वती पुरे जगत में सबसे अधिक सुंदर हैं। ये जानने के पश्चात अंधक विवाह का प्रस्ताव लेकर देवी पार्वती के पास चला गया।

देवी पार्वती के मना करने पर अंधक उन्हें जबरदस्ती ले जाने लगा तो देवी पार्वती ने भगवान शिव का आह्वान किया। पार्वती के आह्वान पर भगवान शिव वहां प्रकट हुए और उन्होंने अंधक को बताया कि वह देवी पार्वती का पुत्र है। ऐसा कहकर उन्होंने अंधक का वध कर दिया।

वापन पुराण में बताया गया है कि अंधक भगवान शिव तथा देवी पार्वती का पुत्र था और उसका वध भगवान शिव करते हैं। परन्तु एक अन्य मतानुसार अंधक  कश्यप ऋषि और दिति का पुत्र था जिसका वध भगवान शिव ने किया था।

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