हनुमान जी की लंका यात्रा से जुड़ी कुछ रोचक बातें

देवी सीता को रावण की कैद से छुड़ाने में हनुमान जी का बहुत बड़ा हाथ है। देवी सीता की खोज के लिए हनुमान जी अपनी वानर सेना को लेकर चले। परन्तु केवल हनुमान जी ही देवी सीता को खोजने में सफल हो पाए। देवी सीता तक पहुँचने के लिए हनुमान जी को कुछ चुनोतियों का सामना करना पड़ा।

देवी सीता को खोजने के उद्देश्य से जब हनुमान जी अपनी वानर सेना के साथ निकले तो उन्हें ढूंढते हुए वह सागर तट पर पहुंचे। सागर तट पर पहुँच कर उन्हें समझ नही आ रहा था कि इसे पार कैसे किया जाये। जब वानरों सहित हनुमान जी को कुछ समझ नही आया। तब उन्होंने अन्न जल का त्याग करके देह त्यागने का विचार किया। क्योंकि सब के अनुसार खाली हाथ लौटने से अच्छा है प्राण त्याग द‌िए जाएं।

जब हनुमान जी निराश हो कर बैठ गये, तब जामवंत ने हनुमान जी को उनकी शक्त‌ि और सामर्थ्य की याद द‌िलाई और कहा क‌ि तुम इतने पराक्रमी हो क‌ि बचपन में ही सूर्य को न‌िगल गए थे। तब यह समुद्र तुम्हारे ल‌िए क्या है? तुम इस समुद्र को पल भर में पार कर सकते हो। जामवंत की यह बात सुनते ही हनुमान जी को शाप के कारण भूली शक्त‌ि याद आ गई और हनुमान जी ने अपने शरीर का आकार बढ़ाते हुए आकाश को छू ल‌िया। बाल्म‌िकी रामायण के अनुसार हनुमान जी के शरीर का व‌िस्तार 10 योजन था।

शरीर का विस्तार करने के बाद जब हनुमान जी ने समुद्र पार करने के लिए छलांग लगाई, तब आस पास के पेड़ उखड़ कर हवा के वेग से इंतनी तेज उड़े कि जैसे हनुमान जी क साथ वह भी सागर पार कर जायेंगे।

समुद्र पार करते समय मैनाक पर्वत ने हनुमान जी को सेवा का अवसर देने की प्रार्थना की थी। लेक‌िन भगवान राम के काम में देरी न हो इसल‌िए हनुमान जी ने मैनाक का सम्मान रखते हुए एक पल क लिए मैनाक पर्वत पर अपना पांव रखा और आगे बढ़ गए।

समुद्र पार करते समय हनुमान जी के सामने नाग माता सुरसा प्रकट हुई। सुरसा ने हनुमान जी से कहा कि अगर तुम मेरे मुख में प्रवेश करने के बाद जीवित बाहर आ जाओगे तो मैं तुम्हे जाने दूंगी। हनुमान जी ने सुरसा के मुंह में प्रवेश क‌िया और सूक्ष्म रूप धारण करके बाहर न‌िकल आए।

सुरसा से बचकर अभी हनुमान जी कुछ आगे बढ़े ही थे कि उन्हें स‌िंह‌िका नाम की राक्षसी म‌िली।वह राक्षसी छाया देखकर वार करती थी। सिहिंका ने हनुमान जी को अपने मुंह में बंद कर लिया। हनुमान जी ने बाहर निकलने क लिए सिहिंका के माथे को फाड़ दिया और बाहर निकल आये।

यह सब चुनोतियाँ पार करने क बाद हनुमान जी दिन के समय लंका पहुंचे। परन्तु उन्होंने रात के समय लंका में प्रवेश करने की योजना बनाई ताकि उन्हें कोई ना देखे। परन्तु रात में जैसे ही वह लंका में प्रवेश करने लगे लंका की देवी लंक‌िनी की नजर उन पर पड़ गई और उन्होंने हनुमान जी को लंका में प्रवेश करने से रोक द‌िया।

लंकिनी के रोकने पर हनुमान जी ने उसे एक मुक्का मारा ज‌िससे वह अचेत होकर ग‌िर पड़ी और फ‌िर होश में आने पर उसने हनुमान जी को प्रणाम ‌क‌िया और कहा कि आज मुझे शाप से मुक्त‌ि म‌िल गई है और मैं अब लंका छोड़कर जा रही हूं आज से लंका का अंत शुरु हो गया है। इसके बाद हनुमान जी मच्छर के समान रूप बनाकर लंका में प्रवेश कर गए।

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