इंद्र देव की इन चालों से शकुनी की चाल हुई थी नाकामयाब

महाभारत में शकुनी मामा ने अपनी चतुराई से कई बार चौरस के खेल में पांडवो को हराया| जिसके परिणाम स्वरूप द्रोपदी का चीर हरण हुआ तथा पांडवो को पहले वनवास और फिर अज्ञातवास मिला| परन्तु देवराज इंद्र ने शकुनी की चालों को ऐसे जवाब दिया कि शकुनी चारो खाने च‌ित्त हो गया|

कर्ण एक वीर योद्धा था| अर्जुन द्वारा कर्ण को हराना बहुत कठिन था| इंद्र देव को ज्ञात था कि सूर्य के कवच के कारण कर्ण अर्जुन को पराज‌ित नहीं कर सकता है| इसलिए इंद्र ने अर्जुन की सहायता के लिए एक चाल चली| कर्ण वीर होने के साथ – साथ दानवीर भी था| इंद्र ब्राह्मण का रूप धारण करके कर्ण के पास दान मांगने पहुँच गए|

दान में उन्होंने कर्ण से कवच और कुंडल मांग लिए| शकुनी और दुर्योधन ने कर्ण को अपना सेनापति इसीलिए नियुक्त किया था क्योंकि कर्ण के पास सूर्य देव के कवच और कुंडल थे| इंद्र देव की इस चाल से शकुनी और दुर्योधन की कर्ण को सेनापत‌ि बनाने की चाल नाकामयाब हुई|

अर्जुन जब दिव्यास्त्र पाने के लिए इंद्र देव के पास स्वर्ग में गए तो वहां उर्वशी नाम की अप्सरा ने विवाह का प्रस्ताव न स्वीकार करने पर अर्जुन को नपुंसक होने का श्राप दिया था| शकुनी ने जुए में जब पांडवों को एक साल का अज्ञातवास द‌िया| तब इंद्र देव ने अर्जुन को मिले श्राप को वरदान में बदल दिया| इंद्र देव ने अर्जुन से कहा कि यह श्राप अज्ञातवास के दौरान तुम्हारी पहचान छुपाने में काम आएगा| इस तरह शकुनि की यह चाल भी नाकामयाब हुई|

महाभारत के युद्ध के समय दुर्योधन और शकुनी ने अपने पक्ष में बड़ी सेना तैयार कर ली| कौरवों की इतनी बड़ी सेना के आगे पांडवों की सेना बहुत छोटी थी| इस स्थिति में इंद्र देव ने पांडवों की सहायता के लिए देवताओं के सारे द‌िव्यास्‍त्र अर्जुन को दे द‌िए| इन्ही दिव्यास्त्रों की सहायता से अर्जुन ने कर्ण का वध किया|

अर्जुन एक महान योद्धा थे| इनकी पहचान ‌स‌िर्फ बृहन्नलला बनकर नहीं छ‌िपती| इसल‌िए इंद्र ने अर्जुन को स्वर्ग यात्रा के दौरान गंधर्वास्‍त्र यानी नृत्य और गायन की श‌िक्षा गंधर्वराज च‌ित्रांगद से लेने को कहा और अर्जुन ने अज्ञातवास के दौरान व‌िराट की राजकुमारी उत्तरा को नृत्य स‌िखाने का काम क‌िया|

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