गणेश जी ने कैसे किया कुबेर का घमंड चूर

एक बार कुबेर को अपने धन पर बहुत घमंड हो गया। उसने सोचा कि उसके पास तीनों लोकों में सबसे ज्यादा धन है, क्यों ना एक भव्य भोज का आयोजन करके वैभव दिखाया जाए। कुबेर ने सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया।

वे भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश भी गए और उन्हें परिवार सहित आने का आमंत्रण दे दिया। भोलेनाथ तो सब कुछ जानने थे। वे समझ गए की कुबेर को अपने धन पर घमंड हो गया है और उन्हें सही राह दिखानी चाहिए।

शिव ने कुबेर से कहा की वो तो आ नहीं सकते पर उनके पुत्र श्री गणेश जरूर भोज में आ जाएंगे। कुबेर खुश होकर चले गए। महाभोज वाला दिन आ गया। कुबेर ने दुनिया भर के पकवान सोने चांदी के थालों में परोस रखे थे। सभी देवी-देवता भर पेट खाकर कुबेर के गुणगान करके विदा होने लगे।

अंत में गणेश जी पहुंच गए। कुबेर ने उन्हें विराजित किया और खाना परोसने लगे। गणपति जी अच्छे से जानते थे कि कुबेर का घमंड कैसे दूर करना है। वे खाते ही जा रहे थे। धीरे-धीरे कुबेर का अन्न भोजन भंडार खाली होने लगा पर गणेश जी का पेट नहीं भरा।

कुबेर ने गणेश जी के फिर से भोजन की व्यवस्था की पर क्षण भर में वो भी खत्म हो गया। गणेश जी भूख से पागल हो गए थे वे कुबेर के महल की चीजों को खाने लगे। कुबेर घबरा गए और उनका अहंकार भी खत्म हो गया। वो समझ गए कि धन के देवता होने के बाद भी वे आने वाले अतिथि का पेट नहीं भर सकते।

कुबेर देवता गणेश जी के चरणों में पड़ गए और अपने घमंड के लिए क्षमा मांगी। गणेश जी ने अब अपनी लीला खत्म की और उन्हें माफ कर सद्बुद्धि प्रदान की।

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *