महाभारत की रचियता वेदव्यास जी ने नहीं बल्कि गणेश जी ने की थी?

हिन्दू धर्म का मुख्य ग्रंथ जो स्मृति वर्ग में आता है वह है महाभारत| इसे एक धार्मिक, ऐतिहासिक, पौराणिक एवं दार्शनिक ग्रंथ माना गया है| महाभारत विश्व का सबसे लम्बा साहित्यिक ग्रंथ है तथा प्राचीन भारत के इतिहास की जानकारी देता है| इस ग्रंथ में 100000 श्लोकों का वर्णन किया गया है| महाभारत  केवल एक व्यक्ति या एक दिन की   रचना नहीं है बल्कि इसका विकास सदियों में हुआ था|

इस ग्रंथ में वेदों, वेदांगों के रहस्यों का विवरण किया हैं| इसके अलावा इस ग्रंथ में शिक्षा, ज्योतिष, न्याय, चिकित्सा, वास्तुशास्त्र, अर्थशास्त्र एवं धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया है|

हिन्दू धर्म की मान्यता है कि महाभारत सत्य घटनाओं पर आधारित है और ऐसा माना जाता है कि इसकी रचियता महर्षि वेदव्यास जी द्वारा की गई है| महर्षि वेदव्यास जी न केवल महाभारत के रचियता है बल्कि वे महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक है|

क्या आप जानते है कि वेदव्यास के महाभारत ग्रंथ को गणेश जी द्वारा लिखा गया- 

महर्षि व्यास जी ने महाभारत की कहानी अपने मन में रच ली थी परन्तु उनके सामने एक गंभीर समस्या आ खड़ी हुई महाभारत किस से लिखवाई जाए| क्योंकि वे चाहते थे महाभारत सरल रूप में हो, महाभारत बहुत लंबा और जटिल था, तो उन्हें कोई ऐसे विद्वान की जरुरत थी कि उसे जैसे-जैसे वे बोलते जाए, वैसे-वैसे वे लिखता जाए| विद्वान भी ऐसा हो कि लिखते वक्त कोई गलती न करें|

परन्तु व्यास जी को समस्या यह थी की वे ऐसा विद्वान कहा से लाए| तो उन्होंने सोचा क्यों ना इस समस्या का हल ब्रह्मा जी से पूछा जाए, इसलिए उन्होंने ब्रह्मा जी का ध्यान किया| जब ब्रह्मा प्रत्यक्ष हुए तो व्यास जी ने अपनी समस्या उनके सामने रखी| पहले तो ब्रह्मा जी यह जानकर बहुत प्रसन्न हुए कि व्यास जी ने इतने महान काव्य की रचना कर ली है, फिर उन्होंने आशीर्वाद देते हुए बताया कि इस कार्य में तुम्हे गणेश की सहायता लेनी चाहिए|

व्यास जी भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान गणेश के पास पहुंचे और उन्हें अपनी समस्या सुनाई, उनकी परेशानी सुनकर गणेश जी ने महाभारत को लिखने के लिए हामी भर दी| परन्तु उन्होंने एक शर्त रखी, शर्त यह थी कि अगर एक बार उन्होंने कलम उठा लिया तो काव्य समाप्त होने के बाद ही वे रुकेंगे, उससे पहले उन्हें बीच में न रोका जाए| व्यास जी ने जब ये सब सुना तो उन्हें पता लग गया कि अगर वे गणेश जी की इस शर्त को मान लेते है तो उन्हें कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है| इसलिए उन्होंने भी एक शर्त रखी, वह यह थी कि काव्य लिखने से पहले गणेश को हर श्लोक का अर्थ समझना होगा, इससे व्यास जी को बीच बीच में समय मिल जाएगा|

तो गणेश जी मान गए और उनके द्वारा पूरी महाभारत उत्तराखंड में स्थित माणा गांव की एक गुफा में लिखी गई| यह भी कहा जाता है कि लगातार लिखते रहने से गणेश जी की कलम टूट गयी थी और उन्होंने तब अपनी सूंड का उपयोग कलम के रूप में किया था|

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