गुप्त नवरात्रि – कथा, व्रत विधि

अक्सर लोगों को साल में 2 बार नवरात्रों का पता होता है| परन्तु नवरात्रे साल में 4 बार हर ऋतु में आते हैं| वसंत, आषाढ़, अश्विन और माघ में से केवल अश्विन और वसंत ऋतु में आने वाले नवरात्रि तो सभी लोग मनाते हैं| लेकिन बाकि दोनों नवरात्रि गुप्त कहलाए जाते हैं|

हालाँकि गुप्त नवत्रात्रों में भी उसी तरह पूजा की जाती है जैसे कि बाकि दोनों नवत्रात्रों में परन्तु गुप्त नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है| तंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्रों को विशेष माना गया है| इन नवरात्रों में साधक की इच्छा के अनुसार ही फल मिलता है|

10 महाविद्याओं का अर्थ है 10 देवियों की आराधना जिनकी तंत्रो के द्वारा साधना कर के उन्हें प्रसन्न किया जाता है| इसके पश्चात साधक को कई सिद्धियां प्राप्त होती हैं और मुँह मांगी इच्छा पूर्ण होती है| 10 देवियों के नाम इस प्रकार हैं-

मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी

गुप्त नवरात्रों की कथा 

गुप्त नवरात्रों की एक कथा बहुत प्रचलित है| कथा के अनुसार एक बार एक स्त्री ऋषि श्रंगी के पास आई और अपनी व्यथा सुनाई| उसने बताया कि पति गलत कामों से जुड़ा हुआ है, वह बहुत पाप करता है| जब मैं कोई धार्मिक कार्य, हवन या अनुष्ठान करने की कोशिश करती हूँ, वह सफल नहीं हो पाता| तो ऐसा क्या करूं कि माँ दुर्गा की कृपा मेरे घर पर पड़े|

तब ऋषि बोले कि वसंत और अश्विन ऋतु में आने वाले नवरात्रों का सभी को पता होता है| परन्तु गुप्त नवरात्रि जो आषाढ़ और माघ ऋतु में आते हैं उनमें माता की विशेष कृपा होती है| इनमें 9 देवियों की पूजा न होकर 10 महाविद्याओं की उपासना होती है|

यह सुन कर उस स्त्री ने विधिपूर्वक कठोर साधना की| माता ने उसकी साधना से  होकर उसका घर खुशियों से भर दिया| उसके पति को भी माँ ने सही दिशा प्रदान की|

पूजा विधि 

अन्य नवरात्रों की ही तरह गुप्त नवरात्रों में भी 9 दिन का व्रत होता है| पहले दिन यानि प्रतिप्रदा को घटस्थापना होती है और फिर रोज़ सुबह-शाम माँ दुर्गा की पूजा की जाती है| अष्टमी या नवमी के दिन कन्या-पूजन के साथ व्रत सम्पन्न किया जाता है|

इसक अलावा जो सिद्धियां प्राप्त के लिए यह नवरात्रि रखते हैं, वे 10 महाविद्या की साधना करते है| तंत्र साधना के वक़्त बहुत सावधानी बरतनी चाहिए इसीलिए सलाह दी जाती है कि यह साधना अपने गुरु के निर्देशन में ही करें वरना इसके कई विपरीत प्रभाव पड़ सकते हैं|

क्या होगा अगर करेंगे महविद्याओं की साधना गुप्त नवरात्रि में ?

काली– पहली महाविद्या माँ काली की होती है जिससे किसी भी बीमारी या अकाल मृत्यु से बचा जा सकता है| इस सिद्धि से दुष्ट आत्माओं से भी बचाव किया जा सकता है|

तारा– दूसरी महाविद्या माँ श्मशान तारा की होती है जो हमे तीव्र बुद्धि और रचनात्मक शक्ति प्रदान करती हैं|

त्रिपुर सुंदरी– अगर कोई भी काम ऐसा है जो सपन्न नहीं हो पा रहा है तो वह त्रिपुर सुंदरी की आराधना कर सकता है|

भुवनेश्वरी– माँ भुवनेश्वरी सभी की इच्छाएं पूरी करती हैं|

छिन्नमस्ता– देवी की साधना कर सभी प्रकार की रोज़गार सम्बन्धी मसले दूर होते हैं|

त्रिपुर भैरवी– भैरवी माँ की आराधना कर के विवाह में आई बाधाओं से मुक्ति मिलती है|

धूमावती– बुरी नजर, तंत्र-मंत्र, जादू-टोने, भूत-प्रेत से मुक्ति पाने के लिए धूमावती माँ को प्रसन्न किया जाता है|

बगलामुखी– माँ बगलामुखी को खुश कर के किसी भी समस्या का समाधान निकला जा सकता है|

मातंगी– देवी मातंगी घर-ग्रेह्स्थी से जुडी हर दिक्कत का उपाय बताती है|

कमला देवी– ये धन और सुंदरता की देवी हैं| इनकी साधना से सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है|

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *